पाठक चाचा
मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ जन्मे पाठक चाचा दुनिया के भले लोगों में से एक थे। प्रकृति ने उनके मुख पर ये मुस्कान सदैव के लिए रख छोड़ा था। कटा हुआ ऊपरी होंठ (cleft lip), उनकी पहचान भी थी और समस्या भी। आजकल तो इसका इलाज आसान है, उन दिनों भी रहा होगा, किंतु बहुत ही सामान्य परिवार से आने वाले पाठक चाचा का इलाज नहीं हुआ और वो ऐसे ही रहे। पाठक चाचा से जो भी मिलता था, उनके कटे होंठ सहसा ही ध्यान अपनी ओर खींच लेता। मैंने भी जब उनको पहली बार देखा तो वोही देखा। हालांकि समय के साथ जब उनको जाना, तब उनकी यह तथाकथिक विकृति हमें विकृति नजर आना बंद हो गई। अक्सर ही सुबह की चाय के वक्त वह हमारे यहां आया करते थे। चाय बस बहाना था, वो सुबह की सैर लेते और अपने मित्र, यानी मेरे पिताजी से मिलने आ जाते। हमारे कई पड़ोसियों को उनका सुबह सुबह आना अच्छा नहीं लगता था। उनका मानना था, की सुबह सुबह विकृत चेहरा देखना अशुभ होता है। मुझे उन लोगों की सोच पर आज भी दया आती है। उनके उसी भगवान ने उन्हें भी बनाया। भगवान की कृति अशुभ कैसे? जो नास्तिक हैं, उनके लिए, प्रकृति की कृति अशुभ कैसे? बहरहाल, हम बच्चे पाठक चाच